लीवर हमारे शरीर का मुख्य अंग है और इसमें किसी तरह की समस्या हो जाने पर शरीर की कार्यक्षमता पर बहुत बुरा असर पड़ता है . लिवर एबसेस को आम बोल चाल के भाषा में जिगर का फोड़ा कहते है ,इससे संक्रमित रोगी के जिगर में सिकुड़न पैदा होती है और फिर उसमें फोड़ा निकल आता है। Liver में उत्पन्न होने वाला यह फोड़ा जब पक जाता है तो रोग सांघातिक हो जाता है। इसके बाद ऑपरेशन करने की नौबत आ जाती है लेकिन अधिकतर देखा गया है इस रोग से पीड़ित रोगी का ऑपरेशन करने पर अधिकतर रोगियों की मृत्यु हो जाती है। जिगर में घाव होने से इससे निकलने वाला दूषित द्रव खून में मिलकर खून को गन्दा कर देता है, जिससे शरीर कमजोर और रोगग्रस्त हो जाता है। इस दौरान लीवर में बहुत अधिक मात्रा में मवाद भी एकत्रित हो जाती है .
लिवर एबसेस के कारण –
· पेट में किसी तरह का संक्रमण या इन्फेक्शन होना
· आंत्र छिद्र का होना
· पित्त ट्यूबो में संक्रमण
· लीवर में किसी चोट का लगना
· खान पान सही ना होने की वजह से कई बार यह समस्या होती है .
लिवर एबसेस के लक्षण –
इसके लक्षण आमतौर पे लोगो को समझ नहीं आते क्योकि वो इसे पेट दर्द समझ लेते है जबकिऐसा नहीं है .
· भूख में कमी – जब लीवर सही तरीके से काम नहीं करता और इसमें फोड़ा होता है तो भूख में कमी आने लगती है और जी मचलता रहता है .
· पेट दर्द – वैसे कई सारे सामान्य कारण भी है जिनकी वजह से पेट दर्द होता है लेकिन अगर आपको हमेशा पेट दर्द बना रहता है और कई बार यह भयानक हो जाता है तो आपको इसका इलाज करवाना चाहिए .
· पीलिया – पीलिया एक लीवर से सम्बंधित रोग है और लीवर के कमजोर होने पर पीलिया होता है इसीलिए अगर आपको पीलिया की समस्या हुई है तो एक बार आपको इसकी जांच भी करानी चाहिए .
· मूत्र में गाढ़ापन – पेशाव में गाढ़ापन इसका मुख्य लक्षण है और यह लीवर के सही तरीके से काम ना करने की वजह से होता है .
· वजन घटना – लगातार वजन का घटना या वजन का बढना भी इसका लक्षण है और आमतौर पे वजन घटता है इसीलिए आप इसकी जांच अवश्य कराये जिससे इससे समय रहते निजात मिल जाएँ .
· क्ले रंग का रक्त – कोई चोट लगने पर अगर आपके शरीर से क्ले रंग का रक्त निकल रहा है तो यह लीवर में फोड़ा होने के लक्षण है .
· रात को पसीना या बुखार – रात को पसीना आना और सामान्य से अधिक आना और इसके साथ बुखार और ठंड इस रोग के लक्षण है और आपको इसका इलाज करवाना चहिये .
लिवर एबसेस के टेस्ट –
· पेट का सीटी स्कैन करके इसकी जांच की जा सकती है
· पेट का अल्ट्रासाउंड भी किया जाता है
· बैक्टीरिया के लिए रक्त का कल्चर परीक्षण
· लीवर बायोप्सी
· लीवर इन्फेक्शन परीक्षण
· सीबीसी
इलाज –
उपचार में आमतौर पर फोड़ा निकालने के लिए त्वचा के अन्दर से एक ट्यूब डाली जाती है. सर्जरी की अक्सर कम आवश्यकता पड़ती है. आप को लगभग 4 से 6 सप्ताह तक एंटीबायोटिक दवाएं लेनी होंगी. कभी-कभी, एंटीबायोटिक केवल संक्रमण का इलाज कर सकते हैं.
इसमें जान का भी जोखिम होता है. मृत्यु के लिए जोखिम उन लोगों में अधिक होता है जिनको कई यकृत फोड़े होते हैं. इसकी वजह से बहुत ही खतरनाक लीवर की सेप्सिस हो सकती है.